हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक वर्ष में कुल बारह संक्रांति दिन होते हैं। उत्तरी राज्यों में, संक्रांति तिथि को फसल के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक नई राशि में आना। मकर संक्रांति के दौरान, सूर्य मकर राशि से गुजरता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक वर्ष में कुल बारह संक्रांति दिन होते हैं और उन्हें चार श्रेणियों में विभाजित किया गया हैः- अयन संक्रांति, विषुव संक्रांति, विष्णुपदी संक्रांति और षशिथिमुखी संक्रांति।
महीना | दिनांक | दिन | व्रत का नाम | तिथि का समय |
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जनवरी |
15 जनवरी, 2024 |
सोमवार |
मकर संक्रांति |
पंचांग चेक करें |
फरवरी |
13 फरवरी, 2024 |
मंगलवार |
कुम्भ संक्रांति |
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मार्च |
14 मार्च, 2024 |
गुरुवार |
मीन संक्रांति |
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अप्रैल |
13 अप्रैल, 2024 |
शनिवार |
मेष संक्रांति |
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मई |
14 मई, 2024 |
मंगलवार |
वृषभ संक्रांति |
पंचांग चेक करें |
जून |
15 जून, 2024 |
शनिवार |
मिथुन संक्रांति |
पंचांग चेक करें |
जुलाई |
16 जुलाई, 2024 |
मंगलवार |
कर्क संक्रांति |
पंचांग चेक करें |
अगस्त |
16 अगस्त, 2024 |
शुक्रवार |
सिंह संक्रांति |
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सितम्बर |
16 सितम्बर, 2024 |
सोमवार |
कन्या संक्रांति |
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अक्तूबर |
17 अक्तूबर, 2024 |
गुरुवार |
तुला संक्रांति |
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नवम्बर |
16 नवम्बर, 2024 |
शनिवार |
वृश्चिक संक्रांति |
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दिसम्बर |
15 दिसम्बर, 2024 |
रविवार |
धनु संक्रांति |
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Utsav Joshi
Rajkumar Birla
ShrutiA
सभी बारह संक्रांति दिनों में से, ‘मकर संक्रांति’ का सबसे अधिक महत्व है और यह भारत के प्रत्येक क्षेत्र में व्यापक रूप से मनाई जाती है।
मकर संक्रांति जिसे सक्रात या संक्रांति के नाम से जाना जाता है, यह हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और सूर्य देवता को समर्पित है। इसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस समयावधि के दौरान, सूर्य सबसे उत्तरी गोलार्ध में पारगमन करता है।
ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को उसी दिन मनाई जाती है, क्योंकि यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती है। हालाँकि, कुछ वर्षों से यह अगले दिन यानी 15 जनवरी को मनाई जाती है।
दक्षिण भारत में यह त्योहार लगातार चार दिन तक मनाया जाता है। इस दिन, भक्त संक्रांति पूजा संस्कार और परंपराएं निभाते हैं। इस दिन को दान के लिए श्रेष्ठ माना गया है। हालांकि इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
मकर संक्रांति का त्योहार परिवर्तन के पवित्र समय को दर्शाता है। ऐसा माना जाता है कि दिसंबर के मध्य में शुरू हुआ अशुभ काल मकर संक्रांति के आगमन पर समाप्त हो जाता है। संक्रांति के अगले दिन से किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे गुजरात में उत्तरायण, तमिलनाडु में पोंगल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में माघी कहा जाता है।
उत्तरी भारत और गुजरात राज्य में, इस दिन घर पर मिठाईयां बनाई जाती हैं और लोग पतंग उड़ाते हैं। मकर संक्रांति बुद्धि, पवित्रता और ज्ञान द्वारा जीवन के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।