व्रत एवं उपवास

व्रत एवं उपवास

हिंदू संस्कृति में व्रत का महत्व

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत या उपवास का पालन करना किसी तपस्या का अनुभव करने जैसा है, इससे किसी व्यक्ति को उसकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद मिलती है। उपवास शब्द संस्कृत के दो शब्दों उप और वास को परिभाषित करता है, जिसका अर्थ है- भगवान के करीब जाना। व्रत या उपवास का पालन करके, भक्त अक्सर अपनी किसी भी इच्छा या अभिलाषा को पूरा करने के लिए भक्तिपूर्वक भगवान से प्रार्थना करता है। आम धारणा के विपरीत, व्रत के दौरान केवल भूख को ही नियंत्रित करना नहीं होता है। वह व्यक्ति जो उपवास करता है, उसे इसके अन्य नियमों का भी पालन करना होता है जैसे भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए, दान देना चाहिए और शराब जैसी नकारात्मकता को बढ़ावा देने वाली किसी भी चीज से दूर रहना आदि।

ज्योतिष के अनुसार, व्रत और उपवास वे आध्यात्मिक माध्यम हैं जो किसी व्यक्ति को उसकी कुंडली के ग्रहों के हानिकारक प्रभावों को दूर करने और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समृद्धि पाने में मदद कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति उपवास करता है, तो वे खुद को दुनिया के भौतिकवादी पहलुओं से अलग कर लेता हैं और अपनी संपूर्ण ऊर्जा एक दिन के लिए सर्वशक्तिमान भगवान को समर्पित कर देता है। इससे न केवल उस व्यक्ति के मन और शरीर की शुद्धि होती है बल्कि उसकी अंतरात्मा को भी बेहद संतुष्टि मिलती है।

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